जर्नल ऑफ पैलियोसाइंसेज


जर्नल ऑफ पैलियोसाइंसेज (पहले द पैलियोबोटनिस्ट के नाम से प्रकाशित) एक अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका है जो ज्ञान का प्रसार कर रही है और 60 से अधिक वर्षों से दुनिया भर के पैलियोबोटनिस्टों को विविध और बेहतर गुणवत्ता वाली सामग्री प्रदान कर रही है। यह बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियोसाइंसेज, लखनऊ, भारत की एक इन-हाउस पत्रिका है और वर्ष 1952 में इसकी स्थापना के बाद से कई विषयगत मुद्दे, कार्यवाही खंड और महत्वपूर्ण योगदान प्रकाशित हुए हैं। पिछले दो दशकों में पैलियोसाइंसेज, प्रॉक्सी, जलवायु और जीवाश्म अध्ययन के लिए सॉफ्टवेयर में इस्तेमाल की जाने वाली तकनीकों में काफी प्रगति हुई है और इसलिए पत्रिका का नाम बदलकर जर्नल ऑफ पैलियोसाइंसेज (2021) कर दिया गया।
यह पत्रिका पैलियोएनवायरनमेंटल, पैलियोइकोलॉजिकल, पैलियोक्लाइमैटिक और पैलियोजियोग्राफिक विषयों पर शोध पत्रों के लिए खुली है, जो प्री-कैम्ब्रियन से लेकर क्वाटर्नेरी (यानी हाल ही में) तक पूरे भूवैज्ञानिक समय के पैमाने पर वितरित किए गए हैं। समकालीन पर्यावरणीय चिंताएँ और मुद्दे जैसे समुद्र के स्तर में वृद्धि, बाढ़, चरम मौसम पैटर्न, गर्मी की लहरें और सूखा साथ ही जैव विविधता, पारिस्थितिकी तंत्र और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं में परिवर्तन पत्रिका के दायरे में आते हैं।


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